An Unbiased View of shiv chalisa lyrics in gujarati
An Unbiased View of shiv chalisa lyrics in gujarati
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अर्थ: हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से कांपने लगे (पौराणिक कथाओं के अनुसार सागर मंथन से निकला यह विष इतना खतरनाक था कि उसकी एक बूंद भी ब्रह्मांड के लिए विनाशकारी थी) आपने ही सब पर मेहर बरसाते हुए इस विष को अपने कंठ में धारण किया जिससे आपका नाम नीलकंठ हुआ।
क्षम्यतां नाथ, अधुना अस्माकं दोषः अस्ति।
अर्थ- हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अविनाशी भगवान भोलेनाथ, सब पर कृपा करने वाले, सबके घट में वास करने वाले शिव शंभू, आपकी जय हो। हे प्रभु काम, क्रोध, मोह, लोभ, अंहकार जैसे तमाम दुष्ट मुझे सताते रहते हैं। इन्होंनें मुझे भ्रम में डाल दिया है, जिससे मुझे शांति नहीं मिल पाती।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
ॠनिया जो कोई more info हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥
अर्थ- हे प्रभू आपके समान दानी और कोई नहीं है, सेवक आपकी सदा से प्रार्थना करते आए हैं। हे प्रभु आपका भेद सिर्फ आप ही जानते हैं, क्योंकि आप अनादि काल से विद्यमान हैं, आपके बारे में वर्णन नहीं किया जा सकता है, आप अकथ हैं। आपकी महिमा का गान करने में तो वेद भी समर्थ नहीं हैं।
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर। भये प्रसन्न दिए इच्छित वर॥